पर्यावरण पर निबंध (Paryavaran par nibandh)- पर्यावरण क्या है परिभाषा सहित

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नमस्कार दोस्तों ! पर्यावरण पर निबंध (Paryavaran par nibandh) में स्वागत है आपका आज का विषय है पर्यावरण आज हम लोग यह चर्चा करेंगे की पर्यावरण क्या है, पिछले कुछ वर्षों से पर्यावरण इतना महत्वपूर्ण विषय क्यों बना हुआ है, पर्यावरण हमारे लिए क्यों आवश्यक है एवं हम लोग इसका नुकसान कैसे कर रहे हैं, तथा इस को बचाने का क्या उपाय है। 

पर्यावरण पर निबंध लिखने से पहले हम आपको बता दे कि जब भी आप कोई लेख लिखते हैं तो आप इसे एक बार पूरे अच्छे से पढ़े और उसे अपनी भाषा में लिखने का प्रयास करें। इस Paryavaran par nibandh में हमने पर्यावरण क्या है और इससे सारी जुड़ी जानकारी यहां पर दी है आप इसे पर्यावरण पर भाषण वाद-विवाद प्रतियोगिता या कई तरह के कार्यक्रम में इस तरह के भाषण को का उपयोग कर सकते हैं।

Paryavaran par nibandh : पर्यावरण क्या है

paryavaran par nibandh
Paryavaran par nibandh

पर्यावरण दो शब्दों के मिलन से बना हुआ है – शब्द यह है   “ परि ” एवं “ आवरण ”. परि का तात्पर्य यह है कि हमारे  –  ‘ चारों ओर ‘ तथा आवरण का तात्पर्य है कि – हमारे इर्द-गिर्द मौजूद वस्तुएं या तो वे सजीव हैं या निर्जीव – सजीव यानी कि जिसमें जीवन हो अथवा प्राकृतिक कार्यों में भाग ले . निर्जीव का अर्थ है कि जो वस्तु प्राकृतिक कार्यों में भाग ना लें अथवा जिसमें जीवन ना हो।

ऊपर के कथनों से हम पर्यावरण को इस तरह परिभाषित कर सकते हैं कि जो भी वस्तु या तो सजीव है या निर्जीव हमारे इर्द-गिर्द या चारों ओर मौजूद है उसे हम लोग पर्यावरण कहते हैं। पर्यावरण को हम लोग अंग्रेजी में ENVIRONMENT कहते हैं जैसे कि पृथ्वी के चारों ओर मौजूद बस तू है या नहीं पर्यावरण को एक अलग नाम से पुकारते हैं जोकि है , ” ATMOSPHERE ” या फिर हिंदी में , “ वातावरण ” कहते हैं।

इसका मतलब होता है पृथ्वी का पर्यावरण विभिन्न प्रकार के गैसों से मिलकर बना हुआ है , एक ही हम लोग “ हवा ” भी कहते हैं। हमारे पृथ्वी के वातावरण को विभिन्न परत में बांटा गया है जैसे कि – छोभ मंडल, समताप मंडल पिछले कुछ वर्षों से पर्यावरण एक महत्वपूर्ण विषय क्यों बना हुआ है। 

आज के समय या पूरी पिछले कुछ वर्षों से पर्यावरण एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं गंभीर विषय बना हुआ है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से पर्यावरण को हम इंसानी हरकतों की वजह से काफी नुकसान पहुंचा है। इसकी वजह से आज हम लोग पर्यावरण को लेकर काफी चिंतित हैं।

क्योंकि अगर पर्यावरण शुद्ध नहीं रहेगा तो जितने भी जीवित वस्तु है पृथ्वी पर वह जिंदा नहीं रह पाएंगे या फिर उन्हें जीवन व्यतीत करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि हमारा जीवन पर्यावरण पर बहुत ही निर्भर करता है। हम लोग पर्यावरण से जीवनदायिनी चीजें प्राप्त करते हैं जैसे कि ऑक्सीजन , भोजन , पानी , सूर्य की रोशनी इत्यादि।

यह सभी चीजें एक जीवित प्राणी के लिए बहुत ही आवश्यक है , इसके बिना जीवित प्राणी अपना जीवन यापन सही से नहीं कर सकता . और इन सभी चीजों में से ऑक्सीजन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है , क्योंकि जीवित प्राणी ऑक्सीजन के बिना पल भर भी नहीं रह सकता।

ऑक्सीजन हमारे स्वसन प्रक्रिया के लिए बहुत ही आवश्यक है , बिना ऑक्सीजन हम लोग शरीर के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं प्राप्त कर सकते . पोकी ऑक्सीजन हमारे शरीर के अंदर मौजूद भोजन के साथ रासायनिक संबंध बनाकर हमारे लिए ऊर्जा उत्पन्न करता है, तथा इसी ऊर्जा को उपयोग में लाकर हम लोग दैनिक कार्य करते हैं।

पेड़ पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है बस तू है , यह भी एक जीवित वस्तु है . पेड़ हमें कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करने के बदले ऑक्सीजन प्रदान करता है जो कि हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है . पेड़ हमें भोजन भी देते हैं , तथा बारिश के लिए भी पेड़ बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यदि हम लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए इस तरह से प्राकृतिक संसाधनों का खनन करते रहेंगे तो इसका हमें गंभीर परिणाम देखने को मिल सकता है। प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयोग से एवं लाभ के लिए अधिक खनन करने से करण को काफी नुकसान होता है।

पर्यावरण के नुकसान एवं उसके नकारात्मक परिणाम


हमारी पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों से काफी परिपूर्ण है जोकि, मानव समाज के लिए एक वरदान है . यदि हम इंसान अपने निजी स्वार्थ के लिए प्राकृतिक संसाधन का अधिक से अधिक मात्रा में खनन करते हैं तो यह हमारे समाज के लिए काफी बुरा साबित होगा।

जैसे यदि हम लोग पेड़ पौधों को बहुत अधिक मात्रा में काटते हैं तो हमारे लिए ऑक्सीजन की कमी हो सकती है तथा फल फूल, इंधन के लिए लकड़ियां , हाय भैंस बकरियों के लिए खाने की कमी होना यह सब हमारे जीवन चक्र को प्रभावित कर सकता है।

अवैध खनन का प्रभाव ही है – ग्लोबल वार्मिंग , मौसम बदलाव यानी कि समय पर बरसात ना होना , समय पर ठंड न आना , अम्लीय बारिश की मात्रा में वृद्धि होना,अधिक गर्मी बढ़ना इत्यादि गंभीर समस्याओं का सामना पूरा विश्व कर रहा है।

अम्लीय बारिश तथा समय पर बारिश ना होना इसका प्रभाव हमारे किसानों को पड़ता है जिससे कि हमारा भोजन चक्र भी बिगड़ता है क्योंकि सही समय पर फसलों का उत्पादन ना होना तथा प्राकृतिक रूप से फसलों का उत्पादन ना होना हम अनाजों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उसे जबरदस्ती उगाना , जो कि हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है।

ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ क्या हैं

 ग्लोबल वॉर्मिंग शब्द के अंदर ही मतलब छुपा हुआ है कि ग्लोब की गर्मी को बढ़ाना . ग्लोब यानि पृथ्वी जरूरत से ज्यादा गर्मी बढ़ना . ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे वातावरण में हानिकारक गैस जो कि हमारे कारखानों के द्वारा आता है इसकी मात्रा काफी बढ़ गई है।

जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या हो रही है क्योंकि यह सभी हानिकारक गैस सूर्य की रोशनी को अपने अंदर करके रखते हैं जो कि हम के सतह को गर्म कर रहे हैं. इसी हानिकारक गैस के कारण अम्लीय बारिश की समस्या काफी बढ़ गई है।  जिससे कि हमारे उपजाऊ मिट्टी का नुकसान हो रहा है हम लिए बारिश मिट्टी के उत्पादन शक्तियों को कम करते हैं तथा फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

पर्यावरण मौसम में बदलाव

पर्यावरण में बदलाव के कारण मौसम में भी बदलाव आ जाते हैं। मौसम में बदलाव का अर्थ है कि समय पर गर्मी ना होना , समय पर बरसात ना होना , समय पर सर्दी ना होना। मौसम में बदलाव के कारण हमारे किसानों पर भी इसका बहुत जोरदार असर होता है।

जैसे कि समय पर बरसात न होने के कारण फसलों की बर्बादी हो जाती है एवं हर समय बरसात होना यह समय गर्मी होना जिससे कि हमारे किसान भाइयों के रवि फसल इत्यादि जो भी है वह बर्बाद हो जाते हैं। साथ ही साथ सब में बदलाव के कारण बीमारियों में भी वृद्धि होती है क्योंकि शरीर को उस रंग ढंग में ढलने में काफी समय लग जाता है , जिसके कारण बीमारियां बढ़ जाती है।

अम्लीय बारिश होना 

पर्यावरण में बदलाव कारण बारिश के प्रकार भी बदल गए हैं . ने भी प्रदूषित से गायब जो हमारे वातावरण में मौजूद हैं , जब बरसात होती है , पानी बरसती है तब या गैस जो है पानी के बूंदे के साथ मिलकर अपनी स्थिति बदल देते हैं , तथा इनका स्वाद अम्लीय हो जाता है।

यह अम्लीय हमारे फसलों को काफी नुकसान पहुंचाती है , साथ ही साथ जब यह अम्लीय पानी हमारे शरीर पर गिरती है तो यह हमें कई बीमारियों का घर बना देती है. अम्लीय पानी मिट्टी के उर्वरक क्षमता को भी कम कर देती है जिससे कि पौधे  विकसित नहीं हो पाते हैं, तथा उनको सही रूप से विकसित करने के लिए बाहर से रासायनिक सूत्रों का प्रयोग किया जाता है, जो कि शरीर के लिए सही नहीं होती है इसलिए अम्लीय बरसात काफी नुकसानदायक होता है।

निष्कर्ष एवं पर्यावरण से सम्बंधित सुझाव


हमने यह देखा कि पर्यावरण क्या होती है , तथा पर्यावरण आज काल के समय में क्यों चर्चा का विषय बना हुआ है. हम इंसान लोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं , अंत में हम मानव समाज का ही नुकसान होगा। अतः हमें यह समझना होगा, हम लोगों को यह कोशिश करनी चाहिए कि पर्यावरण को हमारे दैनिक कार्यों से कम से कम नुकसान हो। अंत में यही कहना चाहूंगा कि जितना ज्यादा साफ-सुथरी हमारा वातावरण और पर्यावरण रहेगी उतनी ही अच्छी हम लोगों की जीवन होगी।

तो यह रही पर्यावरण पर निबंध (Paryavaran par nibandh) और पर्यावरण क्या है इससे संबंधित सारी जुड़ी बातें इस लेख में आपको बहुत कुछ सीखने और जानने को जरूर मिला होगा अगर आपको यहां दिए गए जानकारी पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच अवश्य शेयर करें।

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